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पूर्णिया प्रमंडल को गौरवान्वित करने वाले श्री रमेश चन्द्र मिश्रा जी का निधन दुखदाई

by anmoladmin

Anmol24News-पूर्णिया प्रमंडल को गौरवान्वित करने वाले श्री रमेश चन्द्र मिश्रा जी का निधन दुखदाई 

जन्म-23/9/1951
मृत्यु-4/7/2024

स्वर्गीय  श्री रमेश चंद्र मिश्रा जी की जीवनी—

पटना जिला के मोकामा संकरवार टोला में 23 नवंबर 1951 में एक साधारण परिवार में श्री रविवंश नारायण मिश्र के बेटे के रूप में एक अवतार के रूप में  श्री रमेश चंद्र मिश्र का जन्म हुआ। सुरु से मेघावी छात्र होने के कारण उनका दाखिला भारत के प्रतिष्ठित नेतरहाट विद्यालय में हुआ वहा से हायर सेकंडरी करने के बाद उनको एक अच्छा डॉक्टर बनने की थी मगर कुछ परिस्थि बस वे डॉक्टर नही बन पाए। उसके बाद ग्रेज्यूशन करते हुए अपने पिता जी के साथ उनके व्यापार में हाथ बटाना सुरु किए।
1951 से 1972 महज 22 साल की उम्र में एक व्यापारी के रूप में अपना कैरियर पूर्णिया से सुरु किए। 5 जून 1974 में उनकी शादी हुआ। रमेश चंद्र जी के ससुर जी उस समय भारतीय स्टेट बैंक में कार्य कर रहे थे। उस हिसाब से फाइनेशियल मजबूत थे। उन्होंने सिर्फ रमेश चंद्र जी की प्रतिभा पर अपनी बेटी का विवाह कर दिया था।
1974 में जब शादी हुई तो उनकी धर्मपत्नी  पूर्णिया किराए के मकान में गई। और दोनों में इतना प्यार था की दोनो एक दूसरे का साथ और एक दूसरे के साथ खूब जीए।
व्यापार में तो संघर्ष है ही और संघर्ष के साथ चलते हुए उन्होंने कभी अपना परिवार नही छोड़ा अपना जड़ मोकामा नही छोड़ा।
बहुत कम ही उम्र में पिता जी भी लीवर की बीमारी से चले गए। पिता जी के जाने के बाद बहनों की जिम्मेदारी साथ ही साथ मोकामा के अपने पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई तो अपनी 3 बहन से साथ साथ अपने परिवार की सभी बहनों की शादी उन्होंने की और धूम धाम से की कोई समझ ही नहीं सकता कौन अपनी बहन है कौन चचेरी बहन और बता भी नहीं पाएगा। सब के लिए दादा थे।
उन्हें 1 पुत्री को दो पुत्र महालक्ष्मी राजेश और ब्रजेश के रूप में प्राप्त हुई।
संस्कार ऐसा की भगवान के घर तो विलक्षण की जन्म लेते है। बंटी दीदी हो पप्पू भैया हो या गप्पु हो तीनों पढ़ाई में हमेशा अव्वल आते रहे । किस्मत इतनी अच्छी दामाद डॉक्टर बसंत के रूप में मिला जिन्होंने उनके जान बचाने की अथक प्रयास में लगे रहते थे और श्री रमेश चंद्र जी को अपने दामाद के इलाज पर ही भरोसा था। कुछ भी पहले मेहमान से पूछ कर ही।
आज दोनो बेटा इंजीनियर और दामाद डॉक्टर । मतलब मां सरस्वती और मां लक्ष्मी दोनो का का आशीर्वाद महान आत्मा को मिला।
संघर्ष करते हुए आज पूरे सीमाचल के सबसे जायदा इनकम टैक्स और सेल्स टैक्स देने वाले व्यक्ति थे। उनसे बिहार का अर्थव्यवस्था चल रहा है।
आज विद्या विहार स्कूल जो की भारत वर्ष में एक प्रतिष्ठित विद्यालय विद्याविहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जो की बिहार का नंबर 1 टेक्निकल कॉलेज है इंजीनियरिंग और अन्य कोर्सेज के लिए।
करियर प्लस के रूप में कोचीन संस्थान जो सीमांचल के बच्चो के लिए मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग देती है।
भारत का नंबर 1 महिंद्रा गाड़ियों के डीलर है ब्रजेश ऑटोमोबाइल्स जो कोसी के 8 जिला में डीलरशिप है। और सैकड़ों सब डीलर ब्रजेश ऑटोमोबाइल्स के साथ जुड़े है ।
ये जो भी काम किए उसमे नंबर 1 के पोजीशन पर रहे एचएमटी ट्रैक्टर्स के सबसे बड़े डीलर रहे है।
टाइटन सोनाटा नोकिया जाने कितने कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर्स रहे है। इन्होंने हजारों लोग को रोजगार दिया हुआ है।
सोचिए इस इंसान में कितनी छमता रही होगी जो पूर्णिया के गुरुद्वारा के एक कमरे से पूर्णिया में कितना बड़ा साम्राज्य बनाया खड़ा किया इसलिए मैने उनको अवतार ही बोला।

श्री रमेश चन्द्र मिश्रा जी का निधन पूर्णिया प्रमंडल के लिए अपूरणीय क्षति है।ख्यातिप्राप्त विधा विहार आवासीय विद्यालय के सचिव थे।
विश्व प्रसिद्ध नेतरहाट विधालय के छात्र थे और बिहार के पूर्व राज्यपाल डॉ. ए. आर. किदवई के कहने पर अपने नेतरहाट विधालय के सहपाठियों के साथ मिलकर विद्या विहार आवासीय विद्यालय की कल्पना करते हुए एक उद्यमी के रूप में 1995 में विधालय की स्थापना की।

श्री  रमेश चन्द्र मिश्रा जी के प्रयासों के बल पर ही नेतरहाट विधालय के अवकाश प्राप्त प्रिंसिपल, विश्वविख्यात शिक्षक एवं केरल राज्य के निवासी स्वर्गीय के• एन• वासुदेवन (श्रीमान जी) की सेवाएं विधा विहार आवासीय विद्यालय को वर्षों तक मिली और श्रीमान जी से पूर्णिया प्रमंडल के हजारों विद्यार्थियों को लाभान्वित होने का सुअवसर मिला।
विहार आवासीय विद्यालय के बाद 2009 में विद्या विहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना की।

श्री रमेश चन्द्र मिश्रा जी के अतुलनीय योगदान से पूर्णिया शहर में विधा विहार ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस संचालित है, जहां विधा विहार आवासीय विद्यालय, विधा विहार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अलावा विधा विहार कैरियर प्लस, बीबीए एवं बीसीए कालेजों की बहुमूल्य उपलब्धता है।

श्री रमेश चन्द्र मिश्रा जी एवं उनकी श्रेष्ठ टीम के विशेष प्रयास से ही “सब हिमालयन रिसर्च इंस्टीट्यूट” की परिकल्पना पूर्णिया शहर में साकार हो सकी।

श्री रमेश चन्द्र मिश्रा जी एवं उनके सम्पर्क सूत्रों के सौजन्य से पूर्णिया में “द इंडियन नेशनल ट्रस्ट फ़ोर आर्ट एंड कल्चर हैरिटेज” का पूर्णिया चैप्टर संचालित है।

श्री  रमेश चन्द्र मिश्रा जी बिहार सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट – सिमुलतला आवासीय विद्यालय की स्थापना के लिए एक प्रमुख थिंक-टैंक थे।

श्श्री रमेश चन्द्र मिश्रा जी मानवीय दृष्टिकोण, उदारता, सादगी एवं सरलता से ओत-प्रोत इंसान थे।

 श्री  रमेश चन्द्र मिश्रा जी   उच्च कोटि के उद्यमी थे और उधमिता आधारित प्रतिभाएं उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी।

श्री रमेश बाबू के सौजन्य से पूर्णिया के कम-से-कम एक हजार लोगों को
रोजगार प्राप्त है।

श्री रमेश बाबू सभी प्रकार के श्रेष्ठ समाजिक कार्यों में सदैव रुचि लेते थे।

श्री रमेश बाबू पीएम पैकेज बिहार 15 का हिस्सा पूर्णिया एयरपोर्ट की शुरूआत के लिए प्रयासरत एयरपोर्ट 4 पूर्णिया ग्रुप के सदस्य भी थे।

श्री रमेश बाबू के दोनों लड़के श्री राजेश जी और श्री ब्रजेश जी श्रेष्ठताओं, उच्च संस्कारों एवं मानवीय मूल्यों से ओत-प्रोत युवा हैं। एवं एक लड़की भी है|

श्री रमेश बाबू की कृतियां पूर्णिया प्रमंडल में सदैव स्मरणीय रहेंगी।

श्री रमेश बाबू को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
श्री रमेश चंद्र मिश्रा जी का अंत्येष्टि कल मनिहारी घाट में होगा |

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