पूरे भारत वर्ष में हजारीबाग को राजनीतिक पहचान दिलाने वाले भारत के सुप्रसिद्ध राष्ट्रभक्त एवं स्वतंत्रता आंदोलन के सेना श्री कृष्ण बल्लभ सहाय का आज 3, जून उनका पुण्यतिथि है। पुण्यतिथि के विशेष अवसर पर उनके पैतृक स्थल लोहसिन्हना स्थित आवास पर उनके पुत्र श्रीकांत सहाय और अमृतेश रंजन पंचम कुमार पासवान आशीष श्रीवास्तव सोनू दुबे परमेश्वर यादव मोहन साव इत्यादि ने स्वर्गीय केबी सहाय जी के चित्र पर माल्यार्पण पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

Anmol24news -Hazaribagh पूरे भारत वर्ष में हजारीबाग को राजनीतिक पहचान दिलाने वाले भारत के सुप्रसिद्ध राष्ट्रभक्त एवं स्वतंत्रता आंदोलन के सेना श्री कृष्ण बल्लभ सहाय का आज 3, जून उनका पुण्यतिथि है। पुण्यतिथि के विशेष अवसर पर उनके पैतृक स्थल लोहसिन्हना स्थित आवास पर उनके पुत्र श्रीकांत सहाय और अमृतेश रंजन पंचम कुमार पासवान आशीष श्रीवास्तव सोनू दुबे परमेश्वर यादव मोहन साव इत्यादि ने स्वर्गीय केबी सहाय जी के चित्र पर माल्यार्पण पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

और उनके जीवनी पर प्रकाश डालते हुए पंचम कुमार पासवान ने कहा की श्री कृष्ण बल्लभ सहाय संत कोलंबस कॉलेज हज़ारीबाग से इग्लिश आनर्स से प्रथम श्रेणी में स्नातक परीक्षा पास की। उसके बाद स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

इन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, 1930 के दौरान हजारीबाग में दांडी नमक आंदोलन के दौरान खजांची तालाब के पास नमक बना कर इस आंदोलन को प्रसारित किया। जिसके लिए उन्हें एक वर्ष की सजा हुई कुल मिलाकर चार बार कारावास की सजा मिली। जो भारत के आज़ादी के बाद बिहार के राजस्व मंत्री बने और फिर बाद में बिहार के चौथे मुख्यमंत्री बने।

केबी सहाय ने जमींदारी प्रथा उन्मूलन के साथ राज्य में कई उद्योगों की स्थापना किए उनमें से प्रमुख हैं। बिहार में, बरौनी रिफाइनरी, और बोकारो स्टील प्लांट, पतरातू ग्लास फैक्ट्री तीनों उद्योग को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान चालू किया गया था। साथ ही हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन रांची , जहाँ झारखंड सरकार भी चलती थी, उन्ही के कार्यकाल के दौरान स्थापित किया गया था।

बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने तिलैया में भारतीय सशस्त्र बलों के लिए सैनिक स्कूल की स्थापना किए। साथ ही मेरु बीएसएफ कैंप और 1963 में हजारीबाग में महिला कॉलेज शुरू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई , जिसका नाम केबी वूमेन’एस कॉलेज इन्ही के नाम पर रखा गया। केबी सहाय को अंग्रेजी भाषा में उत्कृष्टता एवं उनकी सुसंगतता और सामंजस्य के लिए उन्हें बिहार एवं उड़ीसा के तत्कालीन राज्यपाल सर एडवर्ड गैट के द्वारा स्वर्ण पदक पुरस्कृत किया गया था।

20वीं सदी के बिहार के उन नेताओं में, केबी सहाय को जिन्हें इस राज्य के लोग बिहार की प्रगति के लिए की गई रचनात्मक और अमूल्य सेवाओं के लिए हमेशा याद रखेंगे, केबी सहाय को निश्चित रूप से एक प्रमुख स्थान मिला। उनका जीवन इस बात का एक शानदार उदाहरण है। कि कैसे एक व्यक्ति दृढ़ निश्चय, व्यवस्थित योजना और कड़ी मेहनत से अपने पोषित सपने को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने एक स्वतंत्र भारत और एक निरंतर प्रगतिशील बिहार का सपना देखा था जिसके लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन बलिदान कर दिया। ऐसे महान विभूति के पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि।

Related posts

NDA में CM की कुर्सी को लेकर चल रही खींचतान के बीच प्रशांत किशोर ने दी अपनी प्रतिक्रिया, कहा- 2025 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ही होंगे NDA का चेहरा, जन सुराज पार्टी के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता

मुख्यमंत्री ने ‘हमारा बिहार, हमारी सड़क’ मोबाइल ऐप का किया लोकार्पण

प्रशांत किशोर का बीजेपी पर बड़ा हमला, कहा- बिहार में बीजेपी नेतृत्वविहीन है, गांवों में 10 फीसदी लोग भी बिहार बीजेपी अध्यक्ष को नहीं पहचानते, ऐसे लोगों के सहारे बीजेपी बिहार कैसे जीत सकती है