Anmol24news-पूर्णिया : टैक्सी स्टैंड स्थित डाॅ0 भीमराव अंबेडकर सेवा सदन में शनिवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व0 भोला पासवान की 111वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। जयंती समारोह में पूर्णिया की महापौर विभा कुमारी मुख्य अतिथि के रूप शामिल हुई। समारोह के दौरान डाॅ0 भीमराव अंबेडकर सेवा सदन के अध्यक्ष जितन लाल राम ने महापौर विभा कुमारी का स्वागत बुके देकर किया। महापौर विभा कुमारी ने सर्वप्रथम स्व0 भोला पासवान शास्त्री जी की प्रतिमा एवं तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
महापौर ने देश के सबसे ईमानदार नेता, पूर्णिया के अनमोल रत्न, पूर्व मुख्यमंत्री स्व0 भोला पासवान शास्त्री की जयंती समारोह में मौजूद मौजूद लोगों को धन्यवाद दिया एवं स्व0 शास्त्री जी को शत-शत नमन किया। उन्होंने कहा कि देश में जब भी ईमानदार राजनेताओं की बात होती है तो दो नाम जो निर्विवाद है, वह भोला पासवान शास्त्री जी और कर्पूरी ठाकुर जी का ही नाम होता है। शास्त्री जी तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री और एक बार केंद्रीय मंत्री रहे लेकिन उनका दमन किसी भी दाग से अछूता ही रहा। काजल की कोठरी से बेदाग निकलने वाले मुख्यमंत्री शास्त्री जी हुए। वे बिहार के पहले अनुसूचित जाति से आने वाले मुख्यमंत्री बने। उनके पिता दरभंगा महाराज के यहां मामूली नौकरी करते थे लेकिन शिक्षा की अहमियत से वाकिफ थे। उस दौर में भोला जी को पढ़ने के लिए बनारस विश्वविद्यालय भेजा गया। वहां उन्होंने संस्कृत में शास्त्री की डिग्री लिया और उनके नाम में शास्त्री टाइटल जुड़ गया लेकिन आज पिछड़ा, अनुसूचित जाति और जनजाति समाज शिक्षा को अहमियत नहीं दे रहा है जो दुखद है। कहा कि हमारे पिछड़ेपन का कारण भी अशिक्षा ही है। शास्त्री जी की जयंती पर आज हमे संकल्प लेने की जरूरत है कि हम अपने समाज को शिक्षा से जोड़े। उन्होंने कहा कि तीन बार मुख्यमंत्री रहने वाले के पास अपना एक मकान नहीं हो, यह अविश्वसनीय लगता है लेकिन यही सच है। मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री से हटने के बाद वे एक झोपड़ी में ही रहते थे। जब उनका निधन हुआ तो उनके बैंक खाता में इतना रुपया नहीं था कि उनका श्राद्ध-संपिण्डन भी सनातन धर्म के अनुरूप हो सके। तब इस कार्य को जिला प्रशासन ने पूरा किया था, ऐसे ईमानदार नेता थे शास्त्री जी। आज के राजनेताओं को उनसे सीख लेने की जरूरत है। शास्त्री जी शोषितों और वंचितों के उत्थान के हिमायती थे। जब तक दबा-कुचला और वंचित तबका समाज की मुख्यधारा से दूर रहेगा तबतक उनके सपने अधूरे रहेंगे। अगर हम अपने -अपने तरीके से इस दिशा में कुछ कर सकते हैं तो यही स्व शास्त्री जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
वहीं डाॅ0 भीम राव अंबेडर सेवा सदन के अध्यक्ष जितन लाल राम ने कहा कि स्व0 भोला पासवान शास्त्री बिहार के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जो अनुसूचित जाति के थे। गरीब परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने शिक्षा ग्रहण किया एवं बौद्धिक रूप से सशक्त बने। उनका कार्यकाल निर्विवाद था और उनका राजनीतिक व व्यक्तिगत जीवन पारदर्शी था। स्व0 शास्त्री जी एक स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राजनेता थे जो तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। वे काफी ईमानदार व्यक्ति थे तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राजनीति में सक्रिय हुए थे। जयंती समारोह में कई वक्ताओं ने भी अपने-अपने विचार रखे। मौके पर मुख्य रूप से आलेक यादव, श्रीप्रसाद महतो, वार्ड पार्षद अभिजीत कुमार उर्फ निप्पू पासवान, पूर्व वार्ड पार्षद राजीव कुमार उर्फ पप्पू पासवान, पोलो पासवान, श्याम लाल पासवान, रमेश पासवान, डा0 गजाधर यादव, सत्यनारायण रजक, रामदयाल पासवान, मो0 इकबाल हुसैन, अमित कुमार पासवान, डा0 केके चैधरी, राजकेश्वर रजक, प्रा0 सुधीर यादव, डा0 सुधांशु कुमार, आलोक कुमार, मुन्ना कुमार, संजय सिंधू, रमेश राम, प्रदीप पासवान, योगेंद्र राम, डोमन रविदास, रंजीत पासवान सहित कई लोग मौजूद थे।