Anmol24news-Ranchi सक्रिय शिक्षण अर्थात् एक्टिव लर्निंग वह कक्षागत गतिविधि है जिसमें विद्यार्थी निष्क्रिय रूप से जानकारी ग्रहण करने के बजाय, सीखने की प्रक्रिया में भाग लेकर अंतःक्रिया करता है। इससे विद्यार्थियों को नई एवं पुरानी जानकारी को जुड़ने, पिछले गलतफहमियों को दूर करने और मौजूदा विचारों पर पुनर्विचार करने का एक विस्तारित अवसर मिलता है। इससे ज्ञान व मस्तिष्क अधिक पोषित और संपुष्ट बनता है। इस उद्देश्य को समर्पित सीबीएसई, सी ओ ई, पटना के कैपिसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम के तहत जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली के दयानंद प्रेक्षागृह में पाँच घंटे का एक दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में शुरुआत प्राचार्य श्री समरजीत जाना, फिरायालाल पब्लिक स्कूल के प्राचार्य श्री नीरज कुमार सिन्हा और सुरेन्द्रनाथ सनेट्ररी पब्लिक स्कूल की प्राचार्या श्रीमती समिता सिन्हा के कर-कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुई।
इस कार्यशाला में सीबीएसई स्कूल के सेवन सिस्टर एकेडमी स्कूल, विद्या मंदिर पब्लिक स्कूल नगड़ी, हॉली क्रॉस स्कूल राँची और गुरु गोबिंद सिंह पब्लिक स्कूल, बोकारो के साठ शिक्षकों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षु शिक्षकों को समूह में बाँट कर क्रियाकलापों के माध्यम से कौशल प्रशिक्षित किया गया।
तत्पश्चात् रिसोर्स पर्सन के रूप में श्री नीरज कुमार सिन्हा एवं श्रीमती समिता सिन्हा ने 4 मॉड्यूल में सक्रिय शिक्षण का अनावरण: सार्थक जुड़ाव को अपनाना, सक्रिय सीखने के लिए आकर्षक रणनीति बनाना, एक प्रभावी शिक्षण सक्रिय शिक्षण योजना तैयार करना, सक्रिय शिक्षण में विभाजन पर विस्तृत रूप से चर्चा की। उन्होंने ऑडियो, वीडियो और संवादात्मक प्रणाली के द्वारा विषय को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया।
रिसोर्स पर्सन ने बताया कि सक्रिय शिक्षण एक छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण है जिसमें छात्र सीखने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। प्रशिक्षक सुविधाकर्ता होते हैं और छात्रों को बातचीत करने, जुड़ने और चिंतन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। जब छात्र ऐसे कोर्सवर्क में शामिल होते हैं तो वे पारंपरिक व्याख्यान से परे संलग्न और सक्रिय होते हैं जिससे बच्चे सक्रिय रूप से सीख रहे होते हैं।
प्राचार्य श्री समरजीत जाना ने कहा कि सक्रिय शिक्षण से कक्षा में उत्साह का सृजन होता है। विद्यार्थी तब अधिक सीखते हैं जब वे सीखने की प्रक्रिया में भाग लेते हैं। यह एक ऐसी एक जीवंत प्रक्रिया है जिसके तहत छात्र पढ़ने, लिखने, चर्चा करने या समस्या समाधान जैसी गतिविधियों में संलग्न होते हैं जो कक्षा की सामग्री के विश्लेषण, संश्लेषण और मूल्यांकन को बढ़ावा देते हैं।