Anmol24news-Purnia यह दो दिवसीय कला उत्सव सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य और स्वदेशी जीवन शैली जैसे महत्वपूर्ण विमर्शों पर केंद्रित है।
मिथिला कला उत्सव का शुभारंभ चित्रकला एंव हस्तशिल्प प्रदर्शनी के उद्घाटन से किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रसिद्ध मिथिला चित्रकार पद्मश्री शांति देवी, चित्रकार राजीव राज, चित्रकार किशोर कुमार राय एंव शिक्षाविद् उदय शंकर प्रसाद सिंह द्वारा किया गया।
मिथिला कला उत्सव के प्रथम दिन बिहार के उद्योग एंव पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा, संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले, संस्कार भारती के उत्तर बिहार प्रांत अध्यक्ष रंजना झा, प्रतिष्ठित मिथिला चित्रकार पद्मश्री शांति देवी, शिक्षाविद् रंजीत कुमार पॉल, शिक्षाविद् राजेश मिश्र तथा समाजसेवी सी.ए आदित्य झा ने दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत रूप से कला उत्सव का शुभारंभ किया।
संस्कार भारती ध्येय गीत एंव स्वागत गान के बाद अपने उद्घाटन संबोधन में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित नीतीश मिश्रा ने कहा कि मिथिला कला उत्सव जैसे महत्वपूर्ण व विषयपरक आयोजन के लिए संस्कार भारती का बहुत आभार। कला द्वारा पंच प्राण विषय से ही सामाजिक परिवर्तन संभव है। हमें अपने मिथिला संस्कृति को घर घर पहुंचाना है, क्योंकि भारत आज विश्व बंधुत्व की भूमिका में है। हमें युवाओं को एवं नई पीढ़ी को मातृभाषा के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। मिथिला क्षेत्र की कला संस्कृति में नागरिक कर्तव्य और कुटुंब प्रबोधन का भाव है।
उद्घाटन संबोधन में मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित अभिजीत गोखले ने कहा कि यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि संस्कार भारती, बिहार द्वारा आंचलिक भाषा आधारित समाज जीवन के महत्वपूर्ण विषयों पर मिथिला कला उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। संस्कार भारती कला के माध्यम से समाज को सत्यम् शिवम सुंदरम का बोध कराती है। मिथिला कला संस्कृति भारत की श्रेष्ठ सांस्कृतिक धरोहर है। माता सीता जी के जीवन के गुण मिथिला के कला संस्कृति में प्रतीत होता है। सामाजिक जीवन में रहते हुए सामूहिक जीवन में रत रहना पंच प्राण विषयों की चेतना को दर्शाता है। संस्कार भारती भारत की कला दृष्टि को मंचन और मंथन द्वारा प्रचारित करने का कार्य करती है।
उद्घाटन सत्र के स्वागत संबोधन में डॉ. रंजना झा ने कहा कि जब भी देश पर आपदा आया है तब कला साधक अपने कला, साहित्य के माध्यम से हमेशा राष्ट्रहित में, समाज जागरण में सामने आयें। सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य और स्वदेशी जीवन शैली जैसे विषयों को कला के विभिन्न विधाओं के माध्यम से युवाओं व नवोदित कलाकारों को बताने की जरूरत है।
कार्यक्रम में पद्मश्री शांति देवी ने कहा कि संस्कार भारती ऐसी संस्था है जो कला के माध्यम से व्यक्तित्व विकास, सामाजिक विकास व राष्ट्र विकास का कार्य करती है। मिथिला चित्रकला में पंच प्राण के सभी विषय शामिल है।
कार्यक्रम में संस्कृतिकर्मी आदित्य झा ने मिथिला कला की व्यापकता एंव संभावनाओं पर चर्चा किया। उन्होंने मैथिली भाषा से जुड़े रहने के लिए युवाओं से आग्रह किया।
उद्घाटन सत्र का मंच संचालन रितेश पाठक ने किया।
उद्घाटन सत्र के बाद सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें नाट्य, नृत्य, गायन, वादन एंव काव्य गोष्ठी की गई।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ अरविंद कुमार मिश्र “नीरज” की अध्यक्षता में हुई जिसमें कुल 11 कवि मिथिला के अलग-अलग क्षेत्र से उपस्थित हुए जिसमें राजकुमार भारती-दरभंगा, दिव्या त्रिवेदी-पूर्णिया, सुन्दरम-मधुबनी, मंजू झा-पटना, मिथुन कुमार-मधेपुरा, उमेश मिश्र-पटना, तपस्या कुमारी, शिवकुमार शर्मा-मधुबनी, दीनानाथ प्रसाद-मधुबनी,धर्मेंद्र कुमार पांडेय-मधुबनी से आये कवियों ने पंच प्राण विषयों पर अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया कार्यक्रम का संचालन कवि धर्मेंद्र कुमार पांडेय जी ने किया।
काव्य पाठ के बाद कठकरेज नाटक की प्रस्तुति की गई, प्रस्तुति “आशीर्वाद रंगमंडल,बेगूसराय” के द्वारा अमित रौशन के निर्देशन में किया गया। दूसरा नाटक “अनमोल धन” का मंचन हुआ। प्रस्तुति आकाश गंगा रंग चौपाल, बेगूसराय के गणेश गौरव के निर्देशन में किया गया।
नाट्य प्रस्तुति के पश्चात् लोक संगीत की प्रस्तुति की गई, जिसमें मिथिला लोक गीतों की प्रस्तुति हुई।
कार्यक्रम में कला उत्सव संयोजक अमित कुँवर, संस्कार भारती बिहार के संगठन मंत्री वेद प्रकाश, उत्तर बिहार के महामंत्री सुरभित दत्त, दक्षिण बिहार के महामंत्री संजय पौद्दार, डॉ. कृपाशंकर ओझा, डॉ. अमित रौशन, अभिजीत कुमार मुन्ना, राहुल यादव, रवि कुमार, आकृति झा, रितेश कुमार, अनमोल कुमार, नयन कुमार, चाँदनी शुक्ला, किशन कुमार विशेष रूप से उपस्थित थे।