Home राज्यबिहारअररिया जिला अररिया रामाश्रम सत्संग की ध्यान साधना का मात्र एक सप्ताह अनुभव कीजिये। उन्नति का अनुभव कीजियेगा। यह कहना है धनबाद झारखंड से आए वयोवृद्ध आचार्य सिद्धेश्वर प्रसाद उर्फ

जिला अररिया रामाश्रम सत्संग की ध्यान साधना का मात्र एक सप्ताह अनुभव कीजिये। उन्नति का अनुभव कीजियेगा। यह कहना है धनबाद झारखंड से आए वयोवृद्ध आचार्य सिद्धेश्वर प्रसाद उर्फ

by anmoladmin

Anmol24news -दिनांक 23.6.2024 जिला अररिया रामाश्रम सत्संग की ध्यान साधना का मात्र एक सप्ताह अनुभव कीजिये। उन्नति का अनुभव कीजियेगा।

यह कहना है धनबाद झारखंड से आए वयोवृद्ध आचार्य सिद्धेश्वर प्रसाद उर्फ भोला बाबू के।

स्थानीय ओम नगर स्थित प्राइम हॉल विवाह भवन परिसर में आयोजित त्रिदिवसीय आंतरिक सत्संग केदूसरी व तीसरी सिटिंग को संबोधित करते हुए धनबाद झारखंड से आए वयोवृद्ध आचार्य सिद्धेश्वर प्रसाद उर्फ भोला बाबू ने कहा कि हमारे रामाश्रम सत्संग में बताई गई पूजा पद्धति जिसे हमलोग आन्तरिक साधना भी कर सकते हैं लगातार 15 मिनट सुबह व शाम निश्चित समय पर निश्चित आसान के साथ करने पर सत्संगियों को पता चल जाएगा की मैं क्या कर रहा हूं। मेरे जीवन में कितना बदलाव आ रहा है। मेरे ऊपर भगवत कृपा हो रही है। और ऐसा निश्चित रूप से होता है आपको सिर्फ पूर्ण श्रद्धा भक्ति के साथ नियम पूर्वक सुबह-शाम साधना करनी है।

उन्होंने कहा कि साधना करने के लिए हर किसी को नियम और समय का पावन्द होना चाहिए। ठीक नियत समय पर किया गया साधना अथवा कार्य का असर भी बहुत अच्छा होता है। वहीं बतलाया गया कि हम लोग जो पूजा करते आ रहे हैं उसका फल क्षणिक और बहुत ही थोड़े मात्रा में प्राप्त होता है, परंतु हमारे गुरु महाराज साहब समर्थ गुरु परम संत ब्रह्मलीन डाक्टर चतुर्भुज सहाय जी ने जो पूजा/साधना पद्धति दूसरे शब्दों में इसे उपासना का साधन भी कह सकते हैं, दिया है। वह बहुत ही सरल है और काफी प्रभावकारी है। इसका प्रभाव देखना हो तो कम से कम मात्र 08 दिन नियम पूर्वक करके देखें। निश्चय ही आप पर कृपा बरसेगी।

बता दें कि उक्त सत्संग में बिहार झारखंड इत्यादि राज्यों से चार आचार्य पधारे हैं। पटना से पधारे आचार्य अमरेन्द्र सिन्हा व डॉ ज्योति बाबू, मुंगेर से आए आचार्य कामेश्वर प्रसाद व स्थानीय आचार्य विनोद प्रसाद ने भी अपने प्रवचनों के दरम्यान बताया कि समर्थ गुरु के द्वारा प्रदत्त रामाश्रम सत्संग बहुत ही व्यवहारिक व सरल सत्संग है इसके लिए अतिरिक्त ताम झाम की कोई गुंजाइश नहीं है। जन साधारण, साधारण तरीके से इस सत्संग की प्रक्रिया को अपना सकता है। उन्होंने कहा कि इस सत्संग में जातिवादी का कहीं कोई स्थान नहीं है। किसी भी जाती का व्यक्ति, महिला- पुरुष, वयस्क और वृद्ध हर कोई इस सत्संग में आ सकता है। और अपना कल्याण कर सकता है उन्होंने कहा कि सत्संग का मतलब हमें अपने आप को ढ़ूढ़ना है। खोजना है, जानना है हम लोग बाहरी सब कुछ जानते हैं। दूसरे के लिए सब कुछ करते हैं पर अपने लिए कुछ नहीं करते इतना ही नहीं हम कौन हैं हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है। हम यह भी नहीं जानते परंतु यहां आने से यहां की साधना करने से एक दिन यह जानकारी अवश्य मिल जाएगी कि मैं कौन हूं मेरे जीवन का उद्देश्य, मेरा कर्तव्य क्या है। मुझे क्या करना है। क्या नहीं करना मैं अपना उद्धार कैसे कर सकता हूं यह सारी बातें धीरे-धीरे समझ में आने लगती है। पटना से आचार्य अमरेंद्र प्रसाद सिन्हा, हाजीपुर से आए आचार्य डाक्टर ज्योति प्रसाद, मुंगेर से आए आचार्य कामेश्वर प्रसाद ने सत्संगियों से विशेष आग्रह करते हुए हुए उन्हें निश्चित रूप से भागवत मार्ग पर चलने का आहवान किया।

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