Anmol24news-अररिया 25.8.2024 अगस्त को अररिया जिले के झमटा पंचायत स्थित मतीर चौक पर एक महत्वपूर्ण आम सभा का आयोजन किया गया। यह सभा जिला पार्षद प्रतिनिधि फैसल जावेद यासीन के आह्वान पर आयोजित की गई थी। सभा में बाढ़ से बचाने के नाम पर चल रहे तटबंध निर्माण कार्य का विरोध करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि दशकों से सीमांचल क्षेत्र को बाढ़ से बचाने के नाम पर विभिन्न परियोजनाएं शुरू की गई हैं। कभी इसे प्रमाण प्रोजेक्ट कहा जाता है, तो कभी महानंदा बेसिन परियोजना। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के समय भी एक अलग कोसी मेची नदी जोड़ परियोजना का अनाउंसमेंट हुआ था। लेकिन इन परियोजनाओं के बावजूद, बाढ़ की मूल समस्या – जैसे कि तीव्र गति से बस्तियों का कटान और नदी के गाद की सफाई – के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
लोगों ने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में जब बाढ़ आती है, तो पानी दो से तीन दिनों में निकल जाता है। लेकिन तटबंध बनने से क्षेत्र में पानी जमा रहेगा और लाखों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि बेकार हो जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार बाढ़ से बचाने के नाम पर इस क्षेत्र को और अधिक बाढ़ की चपेट में डालने की योजना बना रही है।
सभा में झमटा पंचायत के कई जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ आसपास के अन्य पंचायतों के बुद्धिजीवी और सैकड़ों ग्रामीण भी मौजूद थे। सभी ने एक स्वर में तटबंध निर्माण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की मांग की।
सभा में उपस्थित लोगों ने चिंता जताई कि तटबंध के निर्माण से कोसी मेची नदी जोड़ परियोजना के तहत कोसी नदी का पानी छोड़ा जाएगा, जिससे बरसात के दिनों में यह क्षेत्र और अधिक बाढ़ प्रभावित हो जाएगा।
सभा के अंत में, स्थानीय लोगों ने सरकार से अपील की कि वे इस गैर जरूरी तटबंध परियोजना को रोकें और क्षेत्र की असली समस्याओं का समाधान खोजने की दिशा में काम करें।
फैसल जावेद यासीन जोर देते हुए न कहा के कोसी-मेची परियोजना का हम पूर्णतः विरोध करते हैं.
गांव उजाड़कर बांध बनाना ? नहीं सहेंगे. इसके लिए आंदोलन हेतु पहला बैठक काफ़ी सफल रहा. नदी किनारे बसे हज़ारों गाँव उजड़ेंगे. हमारा प्रयास है के आंदोलन के कामयाबी के लिए हर पीड़ित गाँव तक पहुचा जाए ताकि हजारों गाँव को बचाया जा सके.