Anmol24news-पटना, सोमवार, दिनांक 07 अक्टूबर, 2024ः जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में आज समाहरणालय स्थित सभागार में बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) अधिनियम, 2010 के तहत गठित जिला-स्तरीय कोचिंग निबंधन समिति की बैठक हुई। इसमें उप विकास आयुक्त, पटना श्री समीर सौरभ, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पटना श्री संजय कुमार, सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (शिक्षा), पटना एवं समिति के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।
समिति के सदस्य-सचिव जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा एजेंडावार प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। समिति के सदस्यों के संज्ञान में लाया गया कि जिलान्तर्गत कोचिंग के निबंधन के लिए कुल 936 आवेदन प्राप्त हुआ था। इसमें से 413 आवेदनों का पूर्व में ही निष्पादन करते हुए 413 कोचिंग का निबंधन पहले हो चुका है। शेष 523 आवेदनों में 138 की जाँच की गई थी। जाँचोपरान्त इन 138 कोचिंग संस्थानों को निबंधन हेतु अयोग्य पाते हुए इन आवेदनों को अस्वीकृत कर दिया गया था। जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को इन 138 अस्वीकृत आवेदनों की सूची अनुमंडलवार अलग-अलग कर संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी को उपलब्ध कराने का निदेश दिया। अनुमंडल पदाधिकारियों को यह जाँच करने का निदेश दिया गया है कि निबंधन के लिए अयोग्य पाए गए इन 138 कोचिंग संस्थानों का अवैध ढ़ंग से संचालन तो नहीं हो रहा है। यदि अवैध ढ़ंग से संचालन हो रहा हो तो अनुमंडल पदाधिकारियों को विधि-सम्मत कार्रवाई करने का निदेश दिया गया।
जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा समिति के सदस्यों को अवगत कराया गया कि 523 आवेदनों में से शेष 385 आवेदनों की जाँच कराई जा रही है जिसमें 47 का जाँच प्रतिवेदन प्राप्त हुआ है। शेष 338 आवेदनों की जाँच प्रक्रियाधीन है। जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को इन लंबित आवेदनों की जाँच शीघ्र पूरा कर अग्रतर कार्रवाई हेतु निबंधन समिति की बैठक बुलाने का निदेश दिया। जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि जाँच प्रतिवेदन प्राप्त 47 आवेदनों में 13 कोचिंग संस्थान संचालित नहीं होने के कारण निबंधन हेतु अयोग्य पाया गया है। 02 अन्य कोचिंग संस्थान भी निबंधन हेतु अयोग्य पाया गया है। शेष 32 कोचिंग संस्थान के प्राप्त जाँच प्रतिवेदनों पर समिति द्वारा पूर्व में विमर्श किया गया था तथा इन सभी 32 कोचिंग संस्थानों के निबंधन हेतु जिला शिक्षा पदाधिकारी के स्वीकृति के प्रस्ताव को अधिनियम के प्रावधानों के तहत समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। इन 32 कोचिंग संस्थानों में 28 कोचिंग संस्थानों का निबंधन प्रमाण-पत्र निर्गत किया गया है। शेष 04 कोचिंग संस्थानों का निबंधन प्रमाण-पत्र फायर एनओसी अद्यतन कराने के बाद निर्गत किया जाएगा।
जिलाधिकारी ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि कोचिंग संस्थानों के निबंधन हेतु प्राप्त आवेदनों के निष्पादन में प्रगति संतोषजनक नहीं है। वर्ष 2019 से ही मामला लंबित है। यह प्रशासनिक विफलता का द्योतक है। भूमि सुधार उप समाहर्ताओं को निबंधन हेतु प्राप्त आवेदनों के जाँच की जिम्मेदारी दी गई थी। परन्तु उनके द्वारा इस पर उदासीन रवैया अपनाया जा रहा है। साथ ही वरीय पदाधिकारी के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है। इस पर जिलाधिकारी ने अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी भूमि सुधार उप समाहर्ताओं से स्पष्टीकरण करने का निदेश दिया। जिलाधिकारी ने कहा कि निबंधन हेतु प्राप्त आवेदनों की जाँच में जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा जाँच पदाधिकारियों के साथ नियमित तौर पर समन्वय नहीं किया जा रहा है। फलस्वरूप प्रगति काफी धीमी है। इस पर जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा कार्यालय के नोडल पदाधिकारी को कोचिंग निबंधन के कार्य से प्रभार मुक्त करने, उनसे स्पष्टीकरण करने तथा किसी सक्षम पदाधिकारी को कोचिंग निबंधन कार्य का प्रभार देने का निदेश दिया। साथ ही उप विकास आयुक्त, पटना को कोचिंग संस्थानों के निबंधन हेतु प्राप्त आवेदनों के लिए जाँच टीम का पुनर्गठन करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि क्षेत्रवार 05 टीम का गठन करें। हरएक टीम में 01 वरीय उप समाहर्ता स्तर के पदाधिकारी तथा 01 जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (शिक्षा) रहेंगे। संबंधित क्षेत्रों के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी जाँच कार्य में सहयोग प्रदान करेंगे। जाँच हेतु लंबित 338 आवेदनों को प्रखंडवार अलग-अलग कर टीम के बीच में विभाजित करें तथा एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को प्रावधानों के अनुसार जिला-स्तरीय कोचिंग निबंधन समिति की नियमित तौर पर बैठक का आयोजन करने का निदेश दिया। साथ ही कोचिंग संस्थानों के निबंधन हेतु ऑनलाईन पोर्टल विकसित करने के लिए तत्परता से कार्य करने का निदेश दिया गया।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन, पटना द्वारा पूर्व में 07 टीम का गठन कर लगभग 600 से अधिक कोचिंग संस्थानों में सुरक्षात्मक मानकों के अनुपालन की जाँच कराई गई थी। सभी अनुमंडलों में अनुमंडल पदाधिकारियों की अध्यक्षता में तथा पटना मुख्यालय के शहरी क्षेत्रों में अपर जिला दण्डाधिकारी (आपदा प्रबंधन), पटना की अध्यक्षता में टीम गठित कर कोचिंग संस्थानों की जाँच करायी गयी थी। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन के लिए विद्यार्थियों की सुरक्षा सर्वाेपरि है। यह सभी स्टेकहोल्डर्स यथा कोचिंग संचालकों, प्रशासन तथा अभिभावकों की सम्मिलित जिम्मेदारी है। कोचिंग के संचालन में सुरक्षा मानकों का अक्षरशः अनुपालन अनिवार्य है। बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) अधिनियम, 2010 के प्रावधानों के अनुसार कोचिंग का संचालन किया जाए। सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को यह निदेश दिया गया है कि वे सुरक्षात्मक मानकों के अनुपालन की जाँच एवं जाँचोपरांत कृत कार्रवाई के संबंध में विहित प्रपत्र में प्रतिवेदन दें। इसमें जाँच की गई कोचिंग संस्थानों की संख्या, कमी/त्रुटि पायी गयी कोचिंग की संख्या, कितने कोचिंग संस्थानों को नोटिस निर्गत किया गया, कितने से स्पष्टीकरण किया गया तथा कितने कोचिंग संस्थानों के विरूद्ध कार्रवाई हेतु अनुशंसा की गई, इसका रिपोर्ट देने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि एक सप्ताह में इसकी पुनः समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि अनुमंडल पदाधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में कोचिंग संस्थानों के विधिवत रूप से संचालन हेतु जाँच करने के लिए प्राधिकृत हैं। सुरक्षात्मक मानकों के उल्लंघन की स्थिति में वे कार्रवाई की अनुशंसा कर सकते है।
जिलाधिकारी ने कहा कि बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) अधिनियम के तहत कोचिंग संस्थानों की स्थापना, निबंधन एवं संचालन के लिए विस्तृत दिशा-निदेश दिया गया है। इसके अनुसार अन्य बिन्दुओं के साथ निम्मलिखित तीन मानकों पर समुचित ध्यान देना अनिवार्य है।
(1) कोई भी कोचिंग संस्थान बिना वैध निबंधन प्रमाण-पत्र प्राप्त किए न तो स्थापित किया जाएगा और न चलाया जाएगा। कोचिंग संस्था की आधारभूत संरचना के अधीन वर्ग कक्ष का न्यूनतम क्षेत्र प्रति छात्र न्यूनतम 1 वर्ग मीटर होगा।
(2) वर्ग कक्ष में प्रवेश एवं निकास अवरोधमुक्त होना चाहिए। बिल्डिंग बायलॉज का अनुपालन सुनिश्चित होना चाहिए।
(3) अग्नि सुरक्षा के मानकों का अनुपालन सुनिश्चित होना चाहिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि उपर्युक्त तीन मानकों का उल्लंघन किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। सुरक्षात्मक मानकों से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) अधिनियम, 2010 की धारा 6 (2) में दंड का प्रावधान किया गया है। अधिनियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन करने पर प्रथम अपराध के लिए 25,000/- (पच्चीस हजार) रूपये तथा द्वितीय अपराध के लिए 1,00,000/-(एक लाख) रूपये के दंड का प्रावधान है। द्वितीय अपराध के बाद निबंधन रद्द किए जाने का भी प्रावधान है।
जिलाधिकारी ने कहा कि कुछ दिन पूर्व कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई थी तथा उनका पक्ष भी सुना गया था। उनकी माँग के अनुसार उन्हें समय दिया गया था। कोचिंग संस्थानों का संचालन मानक प्रक्रिया के अनुसार सुनिश्चित की जाए। विद्यार्थियों की सुरक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जाए।